श्री सनातन धर्मसभा व महारुद्र यज्ञ समिति ने देवालयों की व्यवस्था सुधारने का बीड़ा उठाया, एक-दूसरे को नीचा दिखाने की आदत छोड़ें

रतलाम : श्री सनातन धर्मसभा व महारुद्र यज्ञ समिति द्वारा मेहंदी कुई बालाजी मंदिर परिसर में पुजारियों का सम्मेलन आयोजित किया गया। दंडी स्वामी आत्मानंदजी सरस्वती ने कहा कि द्वापर युग तक केवल सनातन धर्म था। बाकी सभी इससे ही निकले है। हम एक-दूसरे को नीचा दिखाने की आदत छोड़ें। आज के बदलते समय में सनातन धर्म को मजबूत रखना है। सभी को साथ लेकर चलना आवश्यक है।
अखंड ज्ञान आश्रम के देवस्वरूपानंदजी ने कहा कि जिन्होंने ग्रंथों को पढ़ा है, वह ब्राह्मणों को सम्मान देते हैं। यदि ब्राह्मण ना हो तो धर्म कौन बताएगा। जिस घर में ब्राह्मण का सम्मान होता है, वह घर धर्ममय होता है। जिस देश का राजा धर्ममय होता है वहां की जनता स्वत: ही धार्मिक हो जाती है। वेद शास्त्रों का पठन-पाठन करने वाले ब्राह्मण देव स्वरूप होते हैं। जिनके हृदय में धर्म की जगह होगी, उनके हृदय में ब्राह्मणों के प्रति सम्मान होगा।
श्री सनातन धर्मसभा व महारुद्र यज्ञ समिति अध्यक्ष अनिल झालानी ने शहर के समस्त पुजारियों व विप्र बंधुओं को आमंत्रित करने की आवश्यकता का विस्तारपूर्वक उल्लेख करते हुए कहा कि रतलाम जिले के कई धार्मिक स्थानों पर मंदिरों की देखरेख, पुजारियों की समस्याएं आदि बातों पर चिंतन करने के लिए सभी यहां एकत्रित हुए हैं। कार्य अपने स्तर पर या शासकीय स्तर पर, समस्याओं का कैसे निराकरण हो, इस पर विचार करने के लिए एक मत होकर निर्णय ले सकें, इसलिए यह बैठक बुलाई गई है। धार्मिक संपत्तियां जो भी है, उनका सुव्यवस्थित संचालन हो सके, इसके लिए श्री सनातन धर्मसभा सभी पुजारियों के साथ है। जो शासकीय या ट्रस्ट व निजी मंदिर है, उनका सुचारू रूप से व्यवस्थित संचालन अच्छे से हो सकें, सनातन समाज कहीं न कहीं मंदिरों या पुजारियों से जुड़ा है। सभी को एक साथ जोडऩे का यह एक प्रयास है। सनातन धर्मसभा ने सभी परिवारों को जोडऩे की प्रक्रिया में पुजारियों से सहयोग देने का आह्वान किया।
महर्षि संजय दवे ने मंदिरों और देवस्थानों में पूजन करने वाले पुजारियों, ब्राह्मणों को सम्मान देने व आदर करने की बात कही। सर्वप्रथम मंचासीन संत महामंडलेश्वर देवस्वरूपानंदजी, दंडी स्वामी आत्मानंदजी सरस्वती शृंगेरी मठ, महर्षि संजय शिवशंकर दवे का स्वागत अध्यक्ष अनिल झालानी, कन्हैयालाल मौर्य, कोमलसिंह राठौर, डा. राजेंद्र शर्मा, नवनीत सोनी, मनोहर पोरवाल ने किया। कोमलसिंह राठौर ने कहा कि माता-पिता को अपने बच्चों को बाल्यावस्था से ही धार्मिक संस्कार देना चाहिए व एक-दूसरे का सहयोग करना चाहिए। कन्हैयालाल मौर्य ने कहा कि श्री सनातन धर्मसभा व महारुद्र यज्ञ समिति द्वारा जो यह कार्य किया जा रहा है, वह सराहनीय है और यह प्रयास सतत चलते रहना चाहिए। पंडित संजय ओझा गामोठजी ने पुजारियों की समस्याएं पर प्रकाश डाला। मनोहर पोरवाल ने कहा कि दायित्व दोनों तरफ का होता है। हम अपना दायित्व निभाते हैं तो कोई परेशानी नहीं होती है। जनता भी मंदिरों की सेवा के लिए प्रेरित होना चाहिए।
सम्मेलन अखिल भारतीय पुजारी संघ अध्यक्ष पंडित मुकेश शर्मा, ज्योति शिक्षण जन कल्याण समिति अध्यक्ष पंडित जितेंद्र नारायण नागर, पंडित ओमप्रकाश शर्मा (ओआरएस), आचार्य महेशानंद शास्त्री, पंडित प्रकाश जोशी, पंडित सोमेश शर्मा, पंडित राजेश व्यास, पंडित दीपक परसाई, पंडित राजेश उपाध्याय, पंडित भूपेंद्र जोशी, श्री सनातन धर्मसभा के रमेश व्यास, रमेश लालचंद टांक, तारा सोनी, बंसीलाल शर्मा सहित कई वैदिक कर्मकांड करने वाले विप्रबंधु व मंदिरों की सेवा में लगे बड़ी संख्या में विप्रबंधु उपस्थित थे। संचालन डा. राजेंद्र शर्मा ने किया।